Friday, June 10, 2011

मेरी आरजू


तेरे रुपहले कुंजों की हंसी,
मैं एक बार देखना चाहता हूँ,
कर लेना नफरत जी भरकर,
मैं  राग  तुम्हारे  ही  गाता  हूँ !
सोचता हूँ तुम्हारी पलकों तले,
आंधियाँ   कैंसी   छा   पायी,
सावन कितना ही हो अँधियारा,
हरियाली उसने ही दिखलायी !
न नज़रों को जकडो यूँ परदे में,
दमन से यादें क्या मिटा पाओगी,
मांगे  सदी  तुम  से   कुर्वानी,
नाम  मेरा  क्या  दे   पाओगी!
है  मंजूर   तुम्हें  ये   सब  तो,
ध्यान कुछ इतना भी रख लेना,
जले चिता जब मेरे अरमानो की,
पलकों से आंसू न गिराने देना !...........रचना -राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'





तेरा मुस्कराना

मेरी नज़र यूँ उठती गिरती है,

हर  घटा  से   ये   पूछती   है,

हम   से   क्यों  दूर     हुआ ,

यूँ       तेरा       मुस्कराना !

क्या  भूल  हुई  है  हम  से,

क्यों  अधर  तेरे  यूँ  रूठ  गये,

निगाहों   के  हर  तीर  पे  मेरे,

क्यों  बेरहमी का ढाल लिए हो !

माना की  हम  से  थी  शिकायत  तुम्हें,

उमीदों  को  आपनी क्यों बेसहारा किये हो,

जख्म    मिले   हैं   जो   वफ़ा   के   हमें,

आंसू   उनके   खुद   भी   रो   रहे    हो !

न  दुनिया  हमने  देखी   थी कभी,

दर्द  से इसके हम भी अनजान थे,

कब तक हँसे रोयें महफिल में,

कुछ दिन के ही तो मेहमान हैं ! ..रचना -राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

मशरूम च्युं

मशरूम ( च्युं ) मशरूम प्राकृतिक रूप से उत्पन्न एक उपज है। पाहाडी क्षेत्रों में उगने वाले मशरूम।